स्वच्छ भारत मिशन की उड़ाई जा रही धज्जियां, प्रशासन बना मौन
Sidhi News : सीधी. मध्य प्रदेश के सीधी जिले में बहने वाली सूखा नदी एक छोटी सी नदी है, जो सोन नदी की सहायक नदी के रूप में भी जानी जाती है। हालांकि अब यह सूखा नदी पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है और इसे नाले का रूप दे दिया गया है। इसके विषय में ग्रामीणों की मान्यता यह भी रही है कि यदि किसी को सूखा रोग हो जाए तो इस नदी के जल में उस व्यक्ति को स्नान कराने से सूखा रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। परंतु! अब यह सूखा नदी नाले के रूप में होकर इस प्रकार से घातक बन चुकी है कि इस नदी के जल का स्पर्श करने मात्र से किसी को भी विभिन्न प्रकार की गंभीर से गंभीर घातक बीमारियां अपनी आगोश में ले सकती हैं।

Sidhi News: सूखा नदी, जिसे अब सूखा नाले के नाम से भी संबोधित किया जाने लगा है; इसे कचरे का घर बना दिया गया है। सीधी नगर में नगर के बीचों बीच बहने वाली यह नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और इसकी चौड़ाई घटकर नाले के रूप में रह गई है। प्रशासन द्वारा विकास के नाम पर इस नदी को नाले के रूप में परिवर्तित करते हुए शेष भूमि पर जनकल्याण हेतु भवन एवं सड़क निर्माण कर दिए गए हैं।
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Sidhi News: सूखा नदी जो अब नाले के रूप में बह रही है, उसमें नगर के मध्य में स्थित अस्पतालों से निकलने वाला वेस्टेड मेडिसिन एवं संक्रमित कचरा लाकर फेंका जा रहा है। इतना ही नहीं, शहर भर में चल रही क्लीनिक एवं मेडिकल की दुकानों से निकलने वाले वेस्टेड मेडिसिन को भी यहीं पर फेंका जाता है। वेस्टेड मेडिसिन फेंकने से विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है और जिम्मेदार प्रशासन है कि इस विषय पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

Sidhi News: निजी अस्पतालों से निकलने वाले कचरे का प्रबंधन सही तरीके से नहीं किया जा रहा है, अपितु! अस्पतालों से निकलने वाला सारा का सारा अपशिष्ट पदार्थ सूखा नाले में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ऐसे में गंभीर एवं घातक बीमारियां नगर वासियों को अपनी चपेट में ले सकती हैं। नाले के रूप में बह रही इस नदी के पुल से दिन भर में कई बार लगातार प्रशासनिक अमला आवागमन करता रहता है, लेकिन! इस गंभीर विषय पर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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Sidhi News: सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत मिशन अभियान की पूरी तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही है। जहां एक ओर स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर किसी एक विशेष दिन को हाथों में झाड़ू लेकर प्रशासनिक अमला एवं अपने को नेता और समाजसेवी कहने वाले तथाकथित नेता एवं समाजसेवी सड़कों पर नजर आते हैं, उसके बाद जिले भर में चाहे लाखों टन गंदगी का अंबार फैला रहे, उन्हें उस विषय से कोई आपत्ति नहीं होती।

Sidhi News: तथाकथित बुद्धिजीवी नेताओं एवं समाजसेवियों के द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत मात्र अपनी सेल्फी लेना एवं सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करना ही रह गया है। सूखा नदी को नाला कहें या नदी, कई लोगों के लिए जीवन देने का काम करती थी। पशुओं के लिए पेयजल की व्यवस्था एवं मनुष्यों के लिए अन्य कार्यों में प्रयुक्त होने वाले जल की व्यवस्था करती रही; परंतु! अब दूषित हो चुकी यह नदी पशुओं के लिए भी प्राण घातक सिद्ध हो रही है।

Sidhi News: अब देखना यह है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान को सही रूप देने के लिए कौन-कौन आगे आता है? क्या अपने को जनसेवक कहने वाले तथाकथित नेता एवं बुद्धिजीवी जिले में स्वच्छता बनाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे? स्वच्छता का दंभ भरने वाले प्रशासनिक अधिकारी आखिर कब तक में इस विषय में संज्ञान लेंगे? इसके साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जिनके द्वारा वेस्टेड मेडिसिन लगातार नाले में फेंकी जा रही है, उन लोगों पर कोई ठोस कार्रवाई होगी या नहीं?
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