Monday, December 23, 2024
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News: अश्लील वीडियो देखने पर अब हो सकती है जेल

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Supriya Suraj Gupta, Jabalpur.

News: भारत सरकार और न्यायालय ने डिजिटल प्लेटफार्म्स पर अश्लील सामग्री, विशेषकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं। पिछले कुछ वर्षों में, स्मार्टफोन और इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के कारण लोग आसानी से किसी भी प्रकार की सामग्री तक पहुंच सकते हैं, जिनमें अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो भी शामिल हैं। यह देखा गया है कि आजकल के युवा स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं, और इस लत के कारण वे गलत दिशा में बढ़ सकते हैं। इस डिजिटल युग में अश्लील सामग्री का व्यापक प्रचार और उसका उपयोग चिंता का विषय बन गया है।

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सरकार और सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

News: सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित मामलों में कड़ा रुख अपनाते हुए इसे गंभीर अपराध माना है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े किसी भी वीडियो को देखना, डाउनलोड करना या साझा करना आईटी एक्ट और पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत अपराध है। इन कानूनों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति द्वारा चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े वीडियो डाउनलोड करने पर उसे सजा मिल सकती है।

News: यह देखा गया है कि डिजिटल मीडिया पर अश्लील कंटेंट का प्रसार लगातार बढ़ रहा है। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार ने कड़े कानूनों का निर्माण किया है। आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 और 67A के तहत अश्लील सामग्री का प्रसार, निर्माण, या देखना अपराध है। अगर कोई व्यक्ति इन कानूनों का उल्लंघन करता है, तो उसे पांच साल तक की जेल हो सकती है और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अलावा, आईपीसी की धारा 292, 293, 294, और 509 के तहत भी अश्लील सामग्री से संबंधित अपराधों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।

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आईटी एक्ट 2000 और धारा 67A

News: आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 और 67A के अंतर्गत अश्लील सामग्री से संबंधित किसी भी प्रकार की गतिविधि अवैध मानी जाती है। धारा 67A के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अश्लील सामग्री का निर्माण, प्रसार, या प्रचार करता है, तो उसे दोषी माना जाएगा। इस कानून के अंतर्गत पांच साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि किसी व्यक्ति को इन गतिविधियों के बारे में जानकारी है और वह पुलिस को इसकी सूचना देता है, तो उसे भी कानूनी सुरक्षा मिलती है। इस कानून का उद्देश्य समाज में अश्लीलता के प्रसार को रोकना और नैतिकता को बढ़ावा देना है।

प्रतीकात्मक छवि

 

सोशल मीडिया पर अश्लीलता का प्रसार

News: सोशल मीडिया के माध्यम से अश्लील वीडियो और अन्य अवैध सामग्री का प्रचार तेजी से बढ़ा है। कई बार, लोग अपने फायदे के लिए ऐसी सामग्री अपलोड करते हैं जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलता है। यह प्रवृत्ति न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी अपराध है। अश्लील सामग्री के प्रसार का प्रभाव समाज पर गहरा पड़ता है, खासकर युवाओं पर, जो जल्दी से इस सामग्री की ओर आकर्षित हो जाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि वे मानसिक और नैतिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और उनकी सामाजिक स्थिति भी प्रभावित होती है।

 

कई बार अश्लील वीडियो या सामग्री का निर्माण और प्रसार न केवल अपराध होता है बल्कि यह किसी मासूम की जान तक ले सकता है। ऐसे मामलों में अपराधी न केवल नैतिक रूप से दोषी होते हैं, बल्कि कानून के तहत भी उन्हें कड़ी सजा मिल सकती है।

 

चाइल्ड पोर्नोग्राफी और कानून

News: चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामलों में, कानून और भी सख्त हो जाता है। पॉक्सो एक्ट के तहत किसी भी प्रकार की चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना, डाउनलोड करना, या प्रचारित करना एक गंभीर अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है और कहा है कि इस प्रकार की सामग्री के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। अगर कोई व्यक्ति चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री का उपयोग करता है, तो उसे पॉक्सो एक्ट के साथ-साथ आईटी एक्ट के तहत भी सजा मिल सकती है।

इसके साथ ही, समाज में इस प्रकार की सामग्री का प्रभाव कम करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। सरकार और विभिन्न संस्थान मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं ताकि डिजिटल प्लेटफार्म्स पर अश्लील सामग्री का प्रसार कम हो सके और समाज नैतिकता की दिशा में आगे बढ़ सके।

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नए कानूनों का महत्व

News: भारत में डिजिटल मीडिया पर अश्लील सामग्री के बढ़ते प्रसार को देखते हुए इन कानूनों का निर्माण अत्यंत आवश्यक हो गया था। यह केवल कानूनी दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के कड़े कानूनों से समाज में अनुशासन और नैतिकता का विकास होता है, जो विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है।

सरकार के नए कानूनों का उद्देश्य न केवल अश्लील सामग्री का प्रसार रोकना है, बल्कि लोगों को यह संदेश देना भी है कि इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्त होना एक गंभीर अपराध है और इससे उनका सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो सकता है। इसलिए, यह सभी की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रकार की सामग्री से दूर रहें और अपने परिवार और समाज को सुरक्षित और नैतिक बनाएं। अंततः यह कानून न केवल कानूनी कार्रवाई का हिस्सा हैं, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कदम भी हैं।

सुभाष कुमार पाण्डेय
सुभाष कुमार पाण्डेयhttp://hindmirror.in
प्रधान संपादक (Hind Mirror)

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