Majhauli: प्रशासन की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
Majhauli: देश भर में स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत अभियान के तहत सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य स्वच्छता के महत्व को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाना और उस पर अमल कराना है।
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Majhauli: यह अभियान न केवल सार्वजनिक स्थलों, बल्कि शासकीय कार्यालयों एवं शासकीय संस्थानों में भी स्वच्छता बनाए रखने के लिए चलाया जा रहा है। हालांकि, मझौली तहसील कार्यालय की दशा इन दिनों इस अभियान के विपरीत चल रही है। मझौली तहसील कार्यालय की दीवारें पान और गुटखे की पीक से पूरी तरह सनी हुई हैं, जिससे स्वच्छता के प्रति प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही उजागर हो रही है।
Majhauli: मझौली तहसील कार्यालय में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व का भी कार्यालय स्थित है, जहां पर विकासखंड के दो प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी बैठते हैं। इसके उपरांत भी कार्यालय की दीवारों पर पान और गुटखे की पीक के दाग स्पष्ट दृष्टिगत होते हैं। यह दृश्य न केवल कार्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रहा है, अपितु अधिकारियों की स्वच्छता के प्रति उदासीनता एवं लापरवाही को भी प्रदर्शित कर रहा है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत जहां सार्वजनिक स्थलों की स्वच्छता पर जोर दिया जा रहा है, वहीं इस तरह से शासकीय भवनों की दुर्दशा समाज में एक गलत संदेश प्रेषित कर रही है।
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Majhauli: स्वच्छता अभियान के इस बिगड़े हुए हालात को देखते हुए अब प्रश्न उठते हैं कि जब शासकीय अधिकारी अपने उन कार्यालयों की स्वच्छता सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं, जहां पर बैठ कर वे प्रशासनिक सेवा दे रहे हैं तो ऐसे में इस बात को कैसे स्वीकार किया जाए कि ऐसे लापरवाह अधिकारी सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता को बढ़ावा दे पाएंगे?
Majhauli: देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, और करोड़ों रुपए की राशि का बजट खर्च किया जा रहा है। लेकिन! इस अभियान की असली तस्वीर सरकारी कार्यालयों की हालत से उस समय स्पष्ट हो जाती है, जब कार्यालय में जगह जगह गंदगी देखने को मिल जाए। मझौली तहसील कार्यालय की दीवारों पर पान और गुटखे के धब्बे यह प्रकट करते हैं कि यहां के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए “दाग अच्छे हैं।” ऐसे में यह अभियान अभी भी अपने लक्ष्य से कोसों दूर है।
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Majhauli: हालांकि मझौली तहसील कार्यालय की दीवारों पर फैली गंदगी पर किसी अधिकारी का ध्यान आकृष्ट नहीं हो रहा है। जबकि यही अधिकारी अन्य संस्थानों और कार्यालयों में स्वच्छता के नाम की तख्ती लेकर सख्त कार्यवाही करने और लोगों को स्वच्छता के विषय में जागरूक करने हेतु अपना ज्ञान बांटने में लगे रहते हैं। यही अधिकारी कई बार स्वच्छता की कमी के कारण अन्य विभागों में फटकार लगाते देखे जाते हैं और ऐसे में विभागीय कार्यवाही भी करते हुए पाए जाते हैं। इसके उपरांत भी अपने ही कार्यालय में इस तरह की उदासीनता रखते हुए लापरवाही बरतना अधिकारियों की दोहरी मानसिकता को प्रकट करता है। यह उस निकृष्ट मानसिकता को दिखाता है कि वे स्वच्छता के विषय को लेकर स्वयं कितने लापरवाह व्यक्ति हैं।
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Majhauli: इस स्थिति में सबसे प्रमुख प्रश्न यह है कि कार्यालय की स्वच्छता की जिम्मेदारी किसकी है? क्या यह जिम्मेदारी केवल कर्मचारियों की है? और सभी इन दीवारों को गंदा कर रहे हैं। या फिर उन अधिकारियों की भी विशेष जिम्मेदारी होती है, जो इसे अनदेखा कर रहे हैं? स्वच्छ भारत अभियान का सही क्रियान्वयन तभी संभव हो सकता है, जब हर व्यक्ति इसे अपना नैतिक कर्तव्य माने और स्वच्छता के प्रति सदैव सजग रहे। यदि कार्यालय में बैठे बड़े अधिकारी ही स्वच्छता को लेकर लापरवाह बने हुए हैं, तो जनसाधारण से इस अभियान में सहयोग की उम्मीद तो बिल्कुल भी नहीं की जा सकती है।
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Majhauli: मझौली तहसील कार्यालय की इस स्थिति को सुधारने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। सबसे जिम्मेदार अधिकारियों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और अपने कार्यालय की स्वच्छता पर भी अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जो भी व्यक्ति पान और गुटखा खाकर दीवारों पर थूकता है, उसके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए। इसके अलावा भी तहसील कार्यालय में स्वच्छता के लिए नियमित सफाई अभियान चलाया जाना चाहिए, जिससे दीवारों और परिसर को स्वच्छ रखा जा सके।
Radha Tiwari, Sidhi…