High Court: एक दशक पूर्व के आदेश पर हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी

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High Court: अफसर पर गिर सकती है निलंबन की गाज 

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High Court: जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर ने मध्य प्रदेश के सीधी जिले की चुरहट तहसील से जुड़े एक दशक पुराने मामले में की गई प्रशासनिक लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है।

वर्ष 2014 में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निष्कासन आदेश का अब तक पालन न होने पर अदालत ने संबंधित अधिकारी को निलंबन की चेतावनी देते हुए 11 अगस्त 2025 को प्रातः 10:30 बजे व्यक्तिगत पेशी में उपस्थित होने का आदेश दिया है।

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उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जारी

High Court: पूरा मामला “जोकन प्रसाद त्रिपाठी बनाम मध्यप्रदेश शासन” से संबंधित है, जिसमें 12 जून 2014 को उक्त भूमि से अतिक्रमण हटाकर भूमि याचिकाकर्ता को सौंपने का निर्देश दिया गया था। लेकिन! पूरे 10 वर्ष बीत जाने के बावजूद आदेश कागज़ों तक ही सीमित रहा।

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High Court: परंतु! अब 6 अगस्त 2025 को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार सोनी ने अदालत को बताया कि निजी प्रतिवादियों के खिलाफ सिविल जेल की कार्यवाही भी प्रारंभ हो चुकी है, फिर भी जिम्मेदार प्रशासन टाल मटोल कर रहा है।

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि 22 अगस्त 2024 को चुरहट के एसडीओ ने तहसीलदार को अदालत के फैसले के पालन हेतु आदेश दिए थे, पर ज़मीनी कार्रवाई शून्य रखी गई और इस मामले में आगे कोई रुचि नहीं दिखाई गई।

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उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जारी

High Court: जिससे इस मामले में 7 अगस्त 2025 को अदालत ने हैरानी जताई कि 2014 का आदेश आज तक लंबित क्यों है? और प्रतिवादी क्रमांक-3 को पेश होने का आदेश दिया।

इसके उपरांत 8 अगस्त 2025 की सुनवाई में जब अधिकारी ने केवल औपचारिक कागज़ी कार्यवाही कर जवाब पेश किया और न माफी मांगी, न ठोस कारण दिया, तो न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा— “ऐसे में अधिकारी को निलंबित क्यों न किया जाए?”

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प्रतीकात्मक छवि

High Court: अदालत के इस सख्त रुख के पीछे अधिवक्ता अमित कुमार सोनी की आक्रामक पैरवी और लगातार फॉलोअप काफी अहम सिद्ध हुए, जिसने प्रशासनिक उदासीनता को बेनकाब कर दिया।

अब 11 अगस्त 2025 की सुनवाई इस मामले में निर्णायक सिद्ध हो सकती है, जिसमें संबंधित अफसर के खिलाफ कठोर कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

हालांकि अब देखना यह होगा कि उच्च न्यायालय इस पूरे मामले में क्या निर्णय सुनाएगा?

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