Breaking: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने लगाए लव जिहाद के आरोप

Supriya Suraj Gupta, Jabalpur.

Breaking: हाल ही में छतरपुर जिले में एक अभिभावक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत और बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा उठाए गए सवालों के कारण एनसीईआरटी की कक्षा तीन की पर्यावरण अध्ययन की किताब चर्चा का विषय बन गई है। विवाद का केंद्र “रीना की अहमद को लिखी चिट्ठी” नामक पाठ है, जिसमें एक छात्रा अपने दोस्त अहमद को अगरतला आने का निमंत्रण देती है। इस पाठ को लेकर आरोप लगाया गया है कि इसमें “लव जिहाद” को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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कहां से हुई विवाद की शुरुआत

Breaking: एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक बच्चे के पिता ने खजुराहो एसडीओपी के पास लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि एनसीईआरटी की कक्षा तीन की किताब में पेज नंबर 17 पर प्रकाशित “रीना की अहमद को लिखी चिट्ठी” नामक शीर्षक से एक पत्र छपा है, जिसमें रीना नाम की एक छात्रा ने अहमद नामक अपने दोस्त को अगरतला आने के लिए आमंत्रित किया है। शिकायतकर्ता का कहना था कि यह पाठ बच्चों को गलत दिशा में ले जा सकता है और “लव जिहाद” को बढ़ावा देता है।

Breaking: इस मामले में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी विरोध दर्ज किया और सवाल उठाए कि रीना ने अहमद को ही चिट्ठी क्यों लिखी? उन्होंने कहा कि रीना किसी अन्य नाम, जैसे आकाश, अविनाश, या आदर्श को भी पत्र लिख सकती थी। उनका आरोप था कि इस पाठ के माध्यम से लव जिहाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मांग की है कि ऐसी सभी किताबों को वापस मंगाया जाए और विवादित चैप्टर को हटाया जाए।

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साभार गूगल

 

एनसीईआरटी ने जारी किया स्पष्टीकरण

Breaking: इस विवाद के बाद एनसीईआरटी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इस विषय पर अपनी सफाई दी। एनसीईआरटी ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण अध्ययन की ग्रेड 3 की किताब में प्रकाशित इस पाठ को लेकर चल रही खबरों का कोई आधार ही नहीं है। एनसीईआरटी के अनुसार यह पाठ किताब का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा, एनसीईआरटी ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अब कक्षा तीन के लिए “हमारा अद्भुत विश्व” नामक एक नई पुस्तक लाई गई है। यह नई किताब सामाजिक विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन में बुनियादी दक्षताओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। एनसीईआरटी ने स्कूलों से अपील की है कि वे पुरानी पुस्तकों के बदले नई पुस्तकों का ही उपयोग करें जो नई शिक्षा नीति पर आधारित हैं।

Breaking: एनसीईआरटी के इस स्पष्टीकरण के बाद विवाद थोड़ा शांत तो हुआ है, लेकिन पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और अन्य लोगों द्वारा उठाए गए सवालों ने इस मुद्दे को और बढ़ा दिया है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का मानना है कि ऐसी सामग्री को स्कूल की किताबों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ सकता है।

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समाज में प्रभाव एवं प्रतिक्रियाएं

Breaking: इस पूरे मामले ने हमारे समाज में एक व्यापक बहस छेड़ दी है। कुछ लोग पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थन में हैं और मानते हैं कि इस तरह की सामग्री बच्चों के मन पर गलत प्रभाव डाल सकती है, जबकि अन्य लोग इसे एक अकारण मुद्दा मान रहे हैं। उनके अनुसार, बच्चों के लिए लिखी गई एक साधारण चिट्ठी को “लव जिहाद” से जोड़ना अनुचित है।

Breaking: शिक्षाविदों और सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। कई शिक्षाविदों का कहना है कि बच्चों की पाठ्यपुस्तकों में किसी भी तरह के धार्मिक या सांप्रदायिक मुद्दे को शामिल नहीं किया जाना चाहिए और ना ही इस विवाद को बेवजह बढ़ाया जाए।

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शांत हुआ विवाद

Breaking: इस पूरे प्रकरण ने यह सवाल उठाया है कि बच्चों की पाठ्यपुस्तकों में दी गई सामग्री को किस दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए? हालांकि एनसीईआरटी ने स्पष्ट कर दिया है कि विवादित पाठ अब किताबों का हिस्सा नहीं है, लेकिन! पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और अन्य लोगों द्वारा उठाए गए सवालों ने इस मुद्दे को सार्वजनिक बहस का केंद्र बना दिया है। अब यह देखना होगा कि आने वाले समय में शिक्षा से जुड़े संगठनों और सरकार की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है? और क्या इस तरह के मुद्दों को भविष्य में टालने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं?

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